tag:blogger.com,1999:blog-62816956286150088562024-02-08T12:51:39.959-08:00heart desirezest for ur desireRicha Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.comBlogger49125tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-82997662427591262992014-09-13T23:51:00.001-07:002014-09-13T23:52:12.218-07:00झूट<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<i>तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है </i><br />
<i>पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है </i></div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-89803768614351696372014-08-09T05:17:00.001-07:002014-08-09T05:17:19.228-07:00गुमाँ<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कुछ तरह है लिखावट की तेरा गुमाँ हो जाता है<br />
हमने तो तुझे भुला दिया पर<br />
परछाइयों में तेरा गुमाँ हो जाता है<br />
लिखे थे जो साथ अलफ़ाज़ कस्मे वादों के<br />
उनके केवल बात होने का गुमाँ हो जाता है<br />
यूँ तो तुझे याद नहीं करते पर<br />
तेरी याद आने का गुमाँ हो जाता है । </div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-22666536492114919152013-03-04T06:07:00.004-08:002013-03-04T06:07:50.563-08:00चेहरा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कितना कुछ बदलता है यहाँ<br />
हर रोज़ एक नया चेहरा मिलता है यहाँ<br />
कहता है हर शख्स यहाँ मेरी शखशियत ही कुछ और है<br />
मालूम हो तुम्हें तो मेरी इंसानियत ही कुछ और है<br />
चाहता हूँ हर चेहरे पे हँसी पर वो है कुछ कीमत में दबी<br />
उड़ने को तो तुम्हे आसमान भी नसीब है<br />
पर बदकिस्मत है हम<br />
हमें तो सोने को दो गज़ ज़मीन भी बदनसीब है<br />
हमारी गरीबी पे बड़ी मासूमियत से तुम रोते हो<br />
माँगे दो रोटी तो , काम करने की नसीहत देते हो<br />
खुद गरीब बन के चढ़ावे चढ़ाते हो<br />
मुरादें पूरी हुई तो हमे दान बाँटते हो<br />
मालूम ना था एक ऐसा संसार भी होगा<br />
जहाँ हर चेहरे पे नकाब और<br />
हर नकाब पे चेहरा होगा<br />
<br /></div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-85840403707280766532012-12-22T22:12:00.001-08:002013-11-17T02:04:59.421-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
तकदीर बनाने वाले तूने कमी न की<br />
अब किसको क्या मिला ये मुकदर की बात है </div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-49773005952273925332012-12-19T22:04:00.000-08:002012-12-19T22:04:11.332-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
हूँ जननी तेरे जीवन की ना लूट मेरी आबरू को<br />
देखा है तुझमे अक्स पिता , भाई , साथी और पुत्र का<br />
ना तोड़ मेरे विश्वास को<br />
माना था तूने दुर्गा , लक्ष्मी और सरस्वती का रूप मुझे<br />
फिर भी करता है छलनी तू मेरे जिस्म की हर रूह को<br />
सोचा था तेरे साये में रहूंगी महफूज़ हरदम<br />
पर क्या पता था तू ही है मेरे जीवन की एक दुखद भूल </div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-82639260530339286052012-12-19T08:20:00.001-08:002013-11-17T02:04:59.415-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br /></div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-24763705564311174112012-12-19T07:13:00.001-08:002012-12-19T07:13:21.581-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जननी हूँ तेरी ना लूट मेरी आबरू सरेआम<br />
मानती हूँ रखवाला तुझे अपना ना तोड़ मेरा भरोसा सरेआम </div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-12087855409486322392012-09-29T07:45:00.000-07:002012-09-29T07:45:04.873-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बस शायद और शायद यूँ ही शायद<br />
कभी किसी से कुछ प्यारी सी बात होना<br />
कभी किसी भूले बिसरे दोस्त से मुलाक़ात होना<br />
कभी अनकही किसी की बातें समझ लेना<br />
और कभी किसी के सब कुछ समझाने पे भी नाराज़ होना<br />
बस शायद और शायद यूँ ही शायद<br />
<br />
कभी किसी अजनबी के सलीके से खुश होना<br />
और कभी अपने ही सलीकों से नाखुश होना<br />
कभी चिल्ला के कह देना सब कुछ<br />
और कभी सब कुछ सुन के भी चुप रहना<br />
बस शायद और शायद यूँ ही शायद<br />
<br />
कभी कुछ ना पा के भी खुश होना<br />
और कभी सब कुछ पा के भी उदास होना<br />
कभी यूँ बिना पंख के ही आसमान में उड़ना<br />
और कभी पंख मिलने पे भी पेड़ की किसी डाल पे बैठना<br />
बस शायद और शायद यूँ ही शायद<br />
<br />
कभी एक फूल की खुशबू से ही महक उठाना<br />
और कभी पूरा गुलदस्ता ही सूना लगना<br />
कभी बिना बात के घंटों किसी तस्वीर को देखना<br />
और कभी उसकी एक नज़र भी गवारा न होना<br />
बस शायद और शायद यूँ ही शायद<br />
<br />
कभी दूर हो के भी किसी के पास होना<br />
और कभी किसी के पास होने पे भी दूर लगना<br />
एक पल लगे सब कुछ अपना सा<br />
और एक पल लगे सब कुछ अजनबी<br />
बस शायद और शायद यूँ ही शायद<br />
<br />
कभी यूँ ही अच्छा लगे राहों पे चलना<br />
और कभी हर रास्ता अनजाना लगना<br />
कभी थाम के किसी अजनबी के हाथ उससे रास्ता पार करा देना<br />
और कभी अपने का ही रास्ते में हाथ छोड़ देना<br />
कभी दिल पे ना लेना किसी की बात<br />
और कभी किसी की अनकही बात को दिल से लगा लेना<br />
सोचता हूँ कितना बदलता है इंसान अपने ही ख्यालों में और कहता है की<br />
बस शायद ये ना कहा होता<br />
और शायद ये ना सोचा होता<br />
यूँ ही शायद समझ लिया होता </div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-57679522773157910522012-09-29T07:03:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.365-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
</div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-67253400460889816702012-09-29T07:00:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.380-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br /></div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-19078146848222452352012-09-29T06:48:00.000-07:002013-11-17T02:04:59.333-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
बस शायद ...... और शायद ..... यूँ </div>
</div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-11698726728138542692012-09-10T19:24:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.326-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जीवन पथ जटिल है ये , कालचक्र कठिन है ये ,<br />
पग - पग पे भेद भाव है , रक्त - रंजित पाँव है ,<br />
जन्म से किसी के सर वंश की छाँव है ,<br />
झूठ के रथ पे सवार डाकुओ का गाँव है ,<br />
किसी के पास है छल - कपट , किसी को रूप का वरदान है ,<br />
ये सोच के मत बैठ जा की ये विधि का विधान है ,<br />
<br />
बज रहा मृदंग है, ये कहता - अंग अंग है ,<br />
की प्राण अभी शेष है , मान अभी शेष है ,<br />
उठा ले ज्ञान का धनुष ,<br />
एक कण भी और कुछ माँग मत भगवान से ,<br />
ज्ञान की कमान पे लगा दे तू विजय तिलक ,<br />
काल के कपाल पे लिख दे तू ये गुलाल से ,<br />
" कि रोक सकता है कोई तो रोक के दिखा मुझे ,<br />
हक़ छीनता आया है जो अब छीन के बता मुझे "<br />
ज्ञान के मंच पर सब एक सामान है ,<br />
विधि का विधान पलट दे , वो ब्रहमास्त्र ज्ञान है ,<br />
सिर्फ ज्ञान ही आपको आपका हक़ दिलाता है।</div>
Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-60910387682891386642011-11-29T04:55:00.001-08:002011-11-29T05:21:09.290-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आज फिर वही ओस की बुँदे हैं , ठण्ड का वही मौसम है<br />
वही सिरहन महसूस हुई इन हवाओं में <br />
सब है मगर ना जाने क्यूँ दिल में एक कसक है<br />
तेरे साथ ना होने का जाने मुझे क्यूँ गम है<br />
तुझे भुला था दुनिया के दस्तानों में याद तेरी दिलाई<br />
इन्ही दुनिया वालों ने कहते है ये सब को अपना<br />
मगर कौन जाने ये किसे अजनबी भी कह दे ये<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-30710305732450627382011-10-15T08:22:00.000-07:002013-11-17T02:04:59.351-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मित्यु ज़िन्दगी का सबसे बड़ा उत्सव है | पर इसे मनाने का शुभ अवसर हर किसी को नहीं मिलता | <br />
<br /></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-19763759850762254162011-09-25T01:23:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.336-08:00किस्मत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">किस्मत वो शब्द जिसे हर कोई जानना चाहत है बड़ा ही विचित्र किस्म का शब्द है | कोई जान कर भी अनजान है और जो नहीं जानता वो उलझन में है | आखिर क्या लिखा है किस्मत मै काश जान पाते तो चन्द ख़ुशी के पल लिख देते </div></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-42881405158654713422011-09-21T07:07:00.000-07:002011-09-21T07:07:28.792-07:00वक़्त<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">आज जो मिले ख़ुशी से हम कल गम भी हमने ख़ुशी से बाटें थे </div><div style="text-align: left;">थे रेत की राहों पे और सिमटे थे साहिल की बाहों में </div><div style="text-align: left;">आज महसूस हुई जो लहरों की चोट तो समझ में आया </div><div style="text-align: left;">ना हम तुम्हारे थे ना तुम हमारे थे </div><div style="text-align: left;">ये तो वक़्त की ज़रुरत थी तुम्हारी जो तुम मेरे किनारे थे </div><div style="text-align: left;">जो अब राहें हैं अकेली और हम भी हैं तनहा </div><div style="text-align: left;">तो याद आता है वो लम्हा जब तुम हमारे और हम तुम्हारे थे </div><div style="text-align: left;"><br />
</div></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-44500817454808729162011-08-17T05:43:00.000-07:002011-08-17T05:43:20.566-07:00सहर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"> कल रात हुआ कुछ यूँ की नींद में भी हम जागे थे<br />
तमना थी तेरे आगोश की<br />
जिसे पाने की चाहत में सारी सहर हम जागे थे</div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-75205405673818932652011-07-15T06:44:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.401-08:00Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-55532963379721024402011-07-15T06:36:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.361-08:00Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-22997182212849197562011-07-03T07:22:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.342-08:00ehsaas<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">तूने कहा mai </div></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-62127169986909268142011-06-19T23:02:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.371-08:00चिट्ठी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">आप सब को ये हसीन और कुशगवार बारिश का मौसम मुबारक हो|</div><div style="text-align: left;"> वैसे मैंने ये चिट्ठी लिखने के लिए सोची क्यूँकि कल था मेरा exam और इन्द्र देवता थे मेहरबान जब घर से निकले तो बारिश और फिर तो होती ही रही | हम और साथ में पापा गए थे भीग-भीग के ऐसा लग रहा था जैसे नहा रहे हो | पापा बोले अगर नहा के ना निकलते तो कोई बात ना थी यहाँ नहा लेते रास्ते में| बस admit card नहीं भीगा भगवान की कृपा थी| मुझे नहीं पता था की अभी मैं मानसून का स्वागत करुँगी और जल्द ही वो मेरा स्वागत करेंगे| समौसे और चाय पी ठेले की वैसे मजा बड़ा आया उस चाय की बात ही अलग थी भीग गए थे और ठण्ड लग रही थी उसमे वो चाय अमृत लग रही थी| अब अगर exam की बात करे तो center ऐसी जगह पड़ा जहाँ बस एक शंकर जी का मंदिर था बारिश से बचने के लिए तो हम तो चले गए भगवान की सहारण में| exam तो ठीक हुआ लेकिन याद हमेशा रहेगा| </div><div style="text-align: left;"> धन्यवाद </div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"> </div></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-29788842522577024582011-06-13T00:33:00.000-07:002011-06-13T00:33:18.860-07:00लफ्ज़<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">क्यों खामोश है हर लम्हा<br />
की तन्हाईयाँ घेरे है<br />
क्या बिछड़ा है यार मेरा मुझसे<br />
या ये वक़्त की जरुरत है<br />
क्यों हँसते हुए चेहरे पे<br />
आज ये चुपियों का डेरा है<br />
क्या लफ्ज़ नहीं है बोलने को<br />
या होठों पे तेरी बेरुखी का पहरा है<br />
मालूम न थी तेरा मुझसे जुदा होने की वजह<br />
की मेरे लिए तो तू ही मेरा बसेरा था<br />
उजड़ गया आशियाना की होश ही न था<br />
जब तूने कहा की मेरा तुझसे नाता ही क्या था<br />
खोजता हूँ वक़्त की गहराईयों में<br />
जवाब अपने सवालों के<br />
की क्यों नहीं जान पाया वो<br />
मेरी चाहत के पैमानों को<br />
मेरे लिए तो वो ही मेरी दुनिया ,<br />
मेरी जीने की वजह और<br />
मेरी हर रात का सवेरा था<br />
पर जब वक़्त आया साथ निभाने का तो पता चला<br />
<b>मै उसका बहुत कुछ तो था पर सब कुछ नहीं था|</b><br />
<br />
</div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-54740067186599838382011-06-01T02:37:00.000-07:002011-06-01T02:37:32.554-07:00jakhm<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">दुनिया के दस्तूर है पर मेरा दिल मजबूर है<br />
तुझे चाहा है इस कदर की मेरा हर जख्म तेरा ही वजूद है<br />
तुझे बेशक हक है अपने चाहने वालो को तडपाने की<br />
पर तेरे इस शौक में मेरा भी हिस्सा जरुर है <br />
<br />
</div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-10230127044577728922011-06-01T02:27:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.320-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><br />
</div></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6281695628615008856.post-77952684794536572632011-06-01T02:26:00.001-07:002013-11-17T02:04:59.410-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><br />
</div></div>Richa Srivastavahttp://www.blogger.com/profile/08627129978175186268noreply@blogger.com0