heart desire
zest for ur desire
Monday, January 17, 2011
यादों को जो याद किया भुला फ़साना याद आया
सोचा था की समझोता करने से खुशियाँ मिल जाएगी
क्या पता था समझोता ही खुशियाँ बन जाये गी .
Newer Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)
झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
(no title)
जननी हूँ तेरी ना लूट मेरी आबरू सरेआम मानती हूँ रखवाला तुझे अपना ना तोड़ मेरा भरोसा सरेआम
(no title)
(no title)
क्यूँ आज मन उदास है क्यूँ आज सपने नहीं मेरे पास है क्या उठ गया है विश्वास खुद से की शक में शक्शियत मेरी आज है