Saturday, August 9, 2014

गुमाँ

कुछ तरह है लिखावट की तेरा गुमाँ हो जाता है
हमने तो तुझे भुला दिया पर
परछाइयों में तेरा गुमाँ हो जाता है
लिखे थे जो साथ अलफ़ाज़ कस्मे वादों के
उनके केवल बात होने का गुमाँ हो जाता है
यूँ तो तुझे याद नहीं करते पर
तेरी याद आने का गुमाँ हो जाता है । 

झूट

तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है  पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है