Friday, July 15, 2011
Sunday, July 3, 2011
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झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
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बैठा है वो किसी और की पनाहों में रहता जो कभी मेरी निगाहों में दूर हो गया हूँ खुद से इतना जो पास था कभी खुद के उसके आने से
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जीवन पथ जटिल है ये , कालचक्र कठिन है ये , पग - पग पे भेद भाव है , रक्त - रंजित पाँव है , जन्म से किसी के सर वंश की छाँव है , झूठ के रथ...
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तेरी हर आरज़ू मेरी चाहत बन जाये तेरी हर शाम मेरे नाम हो जाये जो पूरा हुआ ये खवाब तो खुदा की इनायत तेरी इबादत बन जाये