Thursday, March 17, 2011

बैठा है वो किसी और की पनाहों में
रहता जो कभी मेरी निगाहों में
दूर हो गया हूँ खुद से इतना
जो पास था कभी खुद के उसके आने से

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झूट

तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है  पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है