हूँ जननी तेरे जीवन की ना लूट मेरी आबरू को
देखा है तुझमे अक्स पिता , भाई , साथी और पुत्र का
ना तोड़ मेरे विश्वास को
माना था तूने दुर्गा , लक्ष्मी और सरस्वती का रूप मुझे
फिर भी करता है छलनी तू मेरे जिस्म की हर रूह को
सोचा था तेरे साये में रहूंगी महफूज़ हरदम
पर क्या पता था तू ही है मेरे जीवन की एक दुखद भूल
देखा है तुझमे अक्स पिता , भाई , साथी और पुत्र का
ना तोड़ मेरे विश्वास को
माना था तूने दुर्गा , लक्ष्मी और सरस्वती का रूप मुझे
फिर भी करता है छलनी तू मेरे जिस्म की हर रूह को
सोचा था तेरे साये में रहूंगी महफूज़ हरदम
पर क्या पता था तू ही है मेरे जीवन की एक दुखद भूल
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