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Saturday, September 13, 2014
झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है
पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
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झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
(no title)
जननी हूँ तेरी ना लूट मेरी आबरू सरेआम मानती हूँ रखवाला तुझे अपना ना तोड़ मेरा भरोसा सरेआम
(no title)
(no title)
क्यूँ आज मन उदास है क्यूँ आज सपने नहीं मेरे पास है क्या उठ गया है विश्वास खुद से की शक में शक्शियत मेरी आज है