heart desire
zest for ur desire
Sunday, February 27, 2011
जिस रात की सुबह नहीं उस रात का मुसाफिर हूँ
काफ़िर तो नहीं पर इस रात की ख़ामोशी का कायल हूँ
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झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
(no title)
जननी हूँ तेरी ना लूट मेरी आबरू सरेआम मानती हूँ रखवाला तुझे अपना ना तोड़ मेरा भरोसा सरेआम
(no title)
क्यूँ आज मन उदास है क्यूँ आज सपने नहीं मेरे पास है क्या उठ गया है विश्वास खुद से की शक में शक्शियत मेरी आज है
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