Sunday, June 19, 2011

चिट्ठी

आप सब को ये हसीन और कुशगवार बारिश का मौसम मुबारक हो|
                          वैसे मैंने ये चिट्ठी लिखने के लिए सोची क्यूँकि कल था मेरा exam और इन्द्र देवता थे मेहरबान जब घर से निकले तो बारिश और फिर तो होती ही रही | हम और साथ में पापा गए थे भीग-भीग के ऐसा लग रहा था जैसे नहा रहे हो | पापा बोले अगर नहा के ना निकलते तो कोई बात ना थी यहाँ नहा लेते रास्ते में| बस admit card नहीं भीगा भगवान की कृपा थी| मुझे नहीं पता था की अभी मैं मानसून का स्वागत करुँगी और जल्द ही वो मेरा स्वागत करेंगे| समौसे और चाय पी ठेले की वैसे मजा बड़ा आया उस चाय की बात ही अलग थी भीग गए थे और ठण्ड लग रही थी उसमे वो चाय अमृत लग रही थी| अब अगर exam की बात करे तो center ऐसी जगह पड़ा जहाँ बस एक शंकर जी का मंदिर था बारिश से बचने के लिए तो हम तो चले गए भगवान की सहारण में| exam तो ठीक हुआ लेकिन याद हमेशा रहेगा| 
                                                                                                                                 धन्यवाद

 

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झूट

तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है  पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है