Wednesday, August 17, 2011

सहर

 कल रात हुआ कुछ यूँ की नींद में भी हम जागे थे
तमना थी तेरे  आगोश की
जिसे पाने की चाहत में सारी सहर हम जागे थे

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झूट

तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है  पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है