heart desire
zest for ur desire
Wednesday, August 17, 2011
सहर
कल रात हुआ कुछ यूँ की नींद में भी हम जागे थे
तमना थी तेरे आगोश की
जिसे पाने की चाहत में सारी सहर हम जागे थे
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झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
झूट
तेरे हर झूट पे यकीन करने का मन करता है पर क्या करें तेरा हर सच बहुत कड़वा होता है
(no title)
जननी हूँ तेरी ना लूट मेरी आबरू सरेआम मानती हूँ रखवाला तुझे अपना ना तोड़ मेरा भरोसा सरेआम
(no title)
क्यूँ आज मन उदास है क्यूँ आज सपने नहीं मेरे पास है क्या उठ गया है विश्वास खुद से की शक में शक्शियत मेरी आज है
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