आज जो मिले ख़ुशी से हम कल गम भी हमने ख़ुशी से बाटें थे
थे रेत की राहों पे और सिमटे थे साहिल की बाहों में
आज महसूस हुई जो लहरों की चोट तो समझ में आया
ना हम तुम्हारे थे ना तुम हमारे थे
ये तो वक़्त की ज़रुरत थी तुम्हारी जो तुम मेरे किनारे थे
जो अब राहें हैं अकेली और हम भी हैं तनहा
तो याद आता है वो लम्हा जब तुम हमारे और हम तुम्हारे थे
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