बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी किसी से कुछ प्यारी सी बात होना
कभी किसी भूले बिसरे दोस्त से मुलाक़ात होना
कभी अनकही किसी की बातें समझ लेना
और कभी किसी के सब कुछ समझाने पे भी नाराज़ होना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी किसी अजनबी के सलीके से खुश होना
और कभी अपने ही सलीकों से नाखुश होना
कभी चिल्ला के कह देना सब कुछ
और कभी सब कुछ सुन के भी चुप रहना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी कुछ ना पा के भी खुश होना
और कभी सब कुछ पा के भी उदास होना
कभी यूँ बिना पंख के ही आसमान में उड़ना
और कभी पंख मिलने पे भी पेड़ की किसी डाल पे बैठना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी एक फूल की खुशबू से ही महक उठाना
और कभी पूरा गुलदस्ता ही सूना लगना
कभी बिना बात के घंटों किसी तस्वीर को देखना
और कभी उसकी एक नज़र भी गवारा न होना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी दूर हो के भी किसी के पास होना
और कभी किसी के पास होने पे भी दूर लगना
एक पल लगे सब कुछ अपना सा
और एक पल लगे सब कुछ अजनबी
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी यूँ ही अच्छा लगे राहों पे चलना
और कभी हर रास्ता अनजाना लगना
कभी थाम के किसी अजनबी के हाथ उससे रास्ता पार करा देना
और कभी अपने का ही रास्ते में हाथ छोड़ देना
कभी दिल पे ना लेना किसी की बात
और कभी किसी की अनकही बात को दिल से लगा लेना
सोचता हूँ कितना बदलता है इंसान अपने ही ख्यालों में और कहता है की
बस शायद ये ना कहा होता
और शायद ये ना सोचा होता
यूँ ही शायद समझ लिया होता
कभी किसी से कुछ प्यारी सी बात होना
कभी किसी भूले बिसरे दोस्त से मुलाक़ात होना
कभी अनकही किसी की बातें समझ लेना
और कभी किसी के सब कुछ समझाने पे भी नाराज़ होना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी किसी अजनबी के सलीके से खुश होना
और कभी अपने ही सलीकों से नाखुश होना
कभी चिल्ला के कह देना सब कुछ
और कभी सब कुछ सुन के भी चुप रहना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी कुछ ना पा के भी खुश होना
और कभी सब कुछ पा के भी उदास होना
कभी यूँ बिना पंख के ही आसमान में उड़ना
और कभी पंख मिलने पे भी पेड़ की किसी डाल पे बैठना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी एक फूल की खुशबू से ही महक उठाना
और कभी पूरा गुलदस्ता ही सूना लगना
कभी बिना बात के घंटों किसी तस्वीर को देखना
और कभी उसकी एक नज़र भी गवारा न होना
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी दूर हो के भी किसी के पास होना
और कभी किसी के पास होने पे भी दूर लगना
एक पल लगे सब कुछ अपना सा
और एक पल लगे सब कुछ अजनबी
बस शायद और शायद यूँ ही शायद
कभी यूँ ही अच्छा लगे राहों पे चलना
और कभी हर रास्ता अनजाना लगना
कभी थाम के किसी अजनबी के हाथ उससे रास्ता पार करा देना
और कभी अपने का ही रास्ते में हाथ छोड़ देना
कभी दिल पे ना लेना किसी की बात
और कभी किसी की अनकही बात को दिल से लगा लेना
सोचता हूँ कितना बदलता है इंसान अपने ही ख्यालों में और कहता है की
बस शायद ये ना कहा होता
और शायद ये ना सोचा होता
यूँ ही शायद समझ लिया होता